ش | ی | د | س | چ | پ | ج |
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | ||
6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 |
13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 |
20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 |
27 | 28 | 29 | 30 |
من شاهد فنای غرور رود
در ژرفنای تشنه مردار
و ناظر وقاحت کفتار بوده ام
کفتار پیر مانده ز تدبیری
و شاهد شهادت شیری
در بند و خسته زنجیری
دیدم
تهدید شور شعله های شهامت را
مرعوب می کند
و همچنان
که سم گرازان تیزرو
رویای پاک باکرگی را
به ذهن برف
منکوب می کند
حمید مصدق